मानसिक आघात (Trauma)

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 किसी ‘भयावह दुर्घटना, असमय मृत्यु, हिंसा, यौन उत्पीड़न, प्राकृतिक आपदा के प्रति emotional प्रतिक्रिया को trauma कहते हैं! ऐसी घटनाओं को स्वीकार ना कर पाना, पीड़ित व्यक्ति  ज़ेहन में उस scene का बार बार उभरना, इसके कुछ common symptoms हैं!  जब trauma का असर काफ़ी अरसे बाद भी रह जाये और ये पीड़ित के सामान्य जीवन को और मुश्किल बनाने लगे, उसे मनोचिकित्सा में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) कहते हैं! Basically, PTSD patient में तनाव (stress), चिंता (anxiety)और अवसाद (depression) के overlapping symptoms पाये जाते हैं! नींद का ना आना, भूख ना लगना, किसी चीज में शौक़ ना होना, focus में कमी होना, social activities में रुचि ना होना,  जैसे एक या एक से ज़्यादा symptoms, patient में observe किये जा सकते हैं! ट्रामा का असर body में भी दिखता है जैसे खिंची हुई मांशपेशियाँ, सर दर्द का महसूस होना, breathing का तेज चलना!

मानसिक आघात केवल adults को ही नही होता, बल्कि बच्चों में कही ज़्यादा होता है! बस उनके पास अपने आपको अभिव्यक्त करने के  लिए शब्द नहीं होते! बच्चों के traumatized होने का एक प्राइम लोकेशन है schools, जहां आज भी Bullying (चिढ़ाना) और Body shaming (मोटी, पतले, काली, बौना) बहुत openly होती है! घरेलू हिंसा, किसी परिजन को गंभीर बीमारी, शारीरिक और यौन उत्पीड़न (physical और sexual abuse), ये कुछ गंभीर कारण है जो बच्चों को PTSD के साथ, adult होने के बाद भी, पूरी life बिता देने पर मजबूर कर देते हैं! महिला और बाल विकास मंत्रालय के आँकड़ो के अनुसार, 16% बच्चे (लड़के और लड़कियाँ दोनों) किसी ना किसी प्रकार के sexual abuse से प्रभावित हैं,! इसी रिपोर्ट में पाया गया कि 50% से ज़्यादा उत्पीड़न करने वाले, family के जान-पहचान या बहुत भरोसे के लोग ही होते हैं! इसलिए अपने बच्चों की हिफ़ाज़त के लिए अगर संभव हो तो, उन्हें teenage years तक अपनी निगरानी में रखे! परिवार में ऐसा माहौल बनायें की बच्चा ख़ुद अपने बात बेझिझक बता सके! यदि इसके लिए को पहल आप नहीं करेंगे तो वे शायद पूरी life इसके साये में गुजार देंगे!यदि आप adult हैं ,और आपको ख़ुद के बचपन की या adulthood के समय की कोई घटना परेशान कर रही हो तो, उसके लिये professional की मदद लें!

कोई बहुत बड़ा loss, जैसे कि परिवार में किसी की असमय मृत्यु हो जाना या कोई बड़ा financial नुक़सान होने पर, लोग पीड़ित इंसान के लिए सहानुभूति में बोलते हैं, कि इनको सदमा लग गया है! कहीं ना कहीं ये मान भी लेते हैं, कि वक़्त के साथ वो ठीक हो जायेंगे! जिस तरह शरीर पर कोई गहरा घाव लग जाये, और आप उसे ऐसे ही वक़्त के भरोसे छोड़ दें, तो वो नासूर बन जाता है! ठीक वैसे ही Trauma भी मन पर लगा एक बहुत गहरा घाव होता है, जिसके लिये उपचार ज़रूरी है! क्योंकि मेडिकल साइंस ने अब ये prove कर दिया है, कि आपके मन का असर, शारीरिक बीमारियों को जन्म दे सकता है! आपके दोस्त, रिश्तेदार और हमदर्द आपके लिए आपकी बातों को सुन कर आपको सांत्वना तो दे सकते हैं! पर वो ख़ुद trained नहीं हैं, कि कोई उपाय आपको बता सकें, जो आपके दर्द को कम कर सके! क्योकि वहाँ आपको judgement का हमेशा डर  रहेगा, कोई भी बात खुल कर कहने में!

Trauma victim को अक्सर किसी से कोई सलाह या उपाय चाहिये भी नहीं होता! उन्हें बस अपने आपको express करने की तलब होती है, पर सुनने वाले का क्या reaction होगा, ये सोच कर वो रुक जाते हैं! यही पर importance होती है Mental Health Counsellors की, जो trained होते हैं आपको सुनने के लिए, बिना judgement, बिना किसी attachment के! यक़ीन मानिए जिस दिन आप बिना किसी डर और शर्मिंदगी के अपने आपको अभिव्यक्त कर लेंगे, उस दिन से ज़्यादा आत्मविश्वास आपने कभी महसूस नहीं किया होगा! एक कामयाब और खुशहाल जीवन जीने के लिए, चाहे बड़े हों या बच्चे, सभी के लिये trauma का treatment समय से ज़रूरी है! यहाँ एक भ्रम से आपको निजात दिला दूँ, कि हर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपको दवा खाने के लिए नहीं कहेगा! मनोचिकित्सा में अब कई आधुनिक तरीक़े हैं जिसमें दवा की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती!

अपने पिछले blogs और podcast में, मैंने तनाव, चिंता और depression को कैसे ध्यान (meditation), प्राणायाम, योग  या gym के exercise के ज़रिये ख़ुद manage कर सकते है, के बारे में बात किया है! पर trauma के आंतरिक घाव अक्सर इतने गहरा होते हैं, कि जो ख़ुद से ठीक नहीं हो पाते! Good news ये है कि Neuroscientists ने एक नई technique develop की है, Eye Movement Desensitization and Reprocessing, जिसे short में EMDR कहते हैं! ये  एक proven technique है जो आपके brain और body, दोनों से trauma को release करती है! अक्सर हम सोचते है कि हमारे दुख और तकलीफ़ों की memory, केवल हमारे brain के अंदर ही stored होती है, जबकि हमारी पूरी body सालों तक उसी traumatic episodes को स्टोर रखती है! इसीलिए EMDR एक वॉशिंग मशीन की तरह काम करता है! पहले हमारे brain और body से painful memories को निकलता है फिर उनकी सफ़ाई करता है ! उन memories की जगह, जो आपके future में जो goals हैं उनको feed करने की processing करता है! यदि आप सब कुछ try कर चुके हैं और रिलीफ नहीं मिला हो, तो EMDR को ज़रूर try करें!

आख़िर में आपको भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली एक निःशुल्क सेवा, TeleManas के बारे जानकारी देना चाहूँगा! ये एक Helpline है, जो 24 घंटे, साल के 365 दिन आपको free में Counseling और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े support offer करती है! अमूमन अगर आप किसी प्राइवेट Counsellor के पास जाएँगे, तो कम से 1500 Rs से लेकर 5000 Rs तक प्रति घंटे का वो charge करते हैं, depend करता है उनके expertise और popularity पर! इसलिए TeleManas की World Class सुविधा का उचित लाभ उठायें! यदि आपके जानने वालो में कोई, किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है तो इस helpline नंबर (14416 या 1800-891-4416) दोनों में से किसी नंबर पर किसी भी भाषा में call करें! उनकी सेवाएँ दिन-रात चालू रहती हैं! उम्मीद है कि आज का ये blog आपके लिये मददगार साबित होगा! अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे लिखे address के ज़रिए contact करें!


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2 thoughts on “मानसिक आघात (Trauma)

  1. Satyansh verma says:

    Also if trauma is not relieved, we might pass it to others in the form of stress outbursts or some other forms. So we must not ignore our traumas and try to manage it on priority.

    1. urbanmonk1 says:

      I totally agree. It is difficult to avoid the perpetuation of traumatic pain in other areas of one’s life.

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